tag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post3821863507612055317..comments2024-01-30T17:48:49.479+05:30Comments on वाटिका: वाटिका – अप्रैल, 2010सुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-61400947048050243972010-05-13T22:48:44.365+05:302010-05-13T22:48:44.365+05:30भाई सलिल जी ,
ग़ज़लें पढकर प्रतिक्रिया देने ...भाई सलिल जी ,<br /> ग़ज़लें पढकर प्रतिक्रिया देने के लिए आभारी हूँ.ब्लॉग देखकर लिखूंगा.........यतीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-17797221387628915842010-05-12T10:26:01.246+05:302010-05-12T10:26:01.246+05:30भाई यति जी!
वन्दे मातरम.
बरसों बाद आपकी गजलों से र...भाई यति जी!<br />वन्दे मातरम.<br />बरसों बाद आपकी गजलों से रू-ब-रू हूँ. वल्लाह क्या बात है...अब भी वही तेवर...वही जलवा...जानता लम्बा अरसा होने पर भी मुझे भूले न होगे...इस बीच लखनऊ जब भी गया भाई अमरनाथ जी, शांत जी, उग्रनाथ जी, शलभ जी, मनोज जी आदि से आप व् बेज़ार जी की चर्चा हमेशा हुई. दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम देखिये, रचनाएँ भेजिए.दिव्य नर्मदा divya narmadahttps://www.blogger.com/profile/17701696754825195443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-23811223726756047572010-04-22T06:33:17.627+05:302010-04-22T06:33:17.627+05:30भाई नीरव,
वाटिका के माध्यम से तुम बहुत उल्लेखनीय ...भाई नीरव,<br /><br />वाटिका के माध्यम से तुम बहुत उल्लेखनीय कार्य कर रहे हो. उल्लेखनीय इस रूप में कि बहुत ही उत्कृष्ट रचनाएं पाठकों को पढ़ने को मिल रही हैं. प्रिंट पत्रिकाओं में इनके दर्शन कभी कभी ही होते हैं. <br /><br />यती जी की गज़लें नि:संदेह महत्वपूर्ण हैं.<br /><br />चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-38294339456910669432010-04-19T21:54:40.726+05:302010-04-19T21:54:40.726+05:30भाई देवमणि जी,
आपने ग़ज़लें पढीं,आपके स्नेह क...भाई देवमणि जी,<br /> आपने ग़ज़लें पढीं,आपके स्नेह का आभारी हूँ...."यती"यतीhttp://yatiom@gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-56256527287226311422010-04-19T21:52:59.462+05:302010-04-19T21:52:59.462+05:30कुछ शे'र बहुत ही उम्दा हैं, लाजवाब।कुछ शे'र बहुत ही उम्दा हैं, लाजवाब।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-27688005228155793332010-04-19T20:52:20.483+05:302010-04-19T20:52:20.483+05:30बँधी हैं हर किसी के हाथ घड़ियाँ
पकड़ में एक भी लम्हा...बँधी हैं हर किसी के हाथ घड़ियाँ<br />पकड़ में एक भी लम्हा नहीं है<br /><br />कामना एक मन में सहेजे हुए<br />जा रही हैं शिवाले बहन-बेटियाँ<br /><br />अपने समय को जिस तरह यती जी ने पेश किया है वह लाजवाब है ।<br /><br /> - देवमणि पाण्डेयदेवमणि पाण्डेयnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-10529288587544053662010-04-19T18:54:00.436+05:302010-04-19T18:54:00.436+05:30बहुत बढिया प्रस्तुति।।बहुत बढिया प्रस्तुति।।भगीरथhttps://www.blogger.com/profile/11868778846196729769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-2958392270619292542010-04-19T13:11:03.497+05:302010-04-19T13:11:03.497+05:30सुभाष,
आखिर तुम मुझे रुला कर ही माने. दफ्तर में हू...सुभाष,<br />आखिर तुम मुझे रुला कर ही माने. दफ्तर में हूँ, लेकिन आँखें भला ठौर ठिकाना कहाँ देखती हैं.<br />अभी सिर्फ शुरू के चंद अशआर ही देखें हैं. बाद में फिर जुड़ूगा<br /> <br />अशोक गुप्ता<br />ashok267@gmail.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-84665440853647789172010-04-18T12:05:31.080+05:302010-04-18T12:05:31.080+05:30भाई सुरेश यादव जी,
आपने मेरी ग़ज़लें पढ़ीं...भाई सुरेश यादव जी,<br /> आपने मेरी ग़ज़लें पढ़ीं और प्रतिक्रिया भेजी,बहुत अच्छा लगा ."यती"यतीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-36081379874803299082010-04-18T12:01:51.866+05:302010-04-18T12:01:51.866+05:30bhai pran sharma ji,
ghazlon par aatmeeya p...bhai pran sharma ji,<br /> ghazlon par aatmeeya pratikriya ke liye bahut-bahut dhanyavad..."yati"yatinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-70192098681147549122010-04-18T11:59:17.056+05:302010-04-18T11:59:17.056+05:30भाई हिमांशु जी ,
गज़लों पर प्रतिक्रिया के...भाई हिमांशु जी ,<br /> गज़लों पर प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ ...."यती"यतीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-17057210282387575852010-04-18T11:56:34.890+05:302010-04-18T11:56:34.890+05:30भाई नीरज गोस्वामी जी,
ग़ज़लें पढ़ने और उ...भाई नीरज गोस्वामी जी,<br /> ग़ज़लें पढ़ने और उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार......"यती"यतीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-58644180135513317332010-04-18T11:53:33.572+05:302010-04-18T11:53:33.572+05:30भाई नीरव जी,
वाटिका के विशाल पाठक वर्ग के ...भाई नीरव जी,<br /> वाटिका के विशाल पाठक वर्ग के समक्ष मेरी ग़ज़लें प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद......"यती"यतीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-56062972576595478862010-04-17T21:39:37.399+05:302010-04-17T21:39:37.399+05:30ओम प्रकाश यति की गज़लें मन को छूती हैं संवेदना का ब...ओम प्रकाश यति की गज़लें मन को छूती हैं संवेदना का बहु आयामी विस्तार इन ग़ज़लों के दायरे को विस्तृत कर देता है..हिमांशु जी के इस विचार से पूरी तरह सहमत हूँ कि पत्रिकाओं में ऐसी ग़ज़लों का वास्तव में आभाव है.नीरव जी कि पसंद कि दाद देनी पड़ेगी..यति जी को बधाई और नीरव जी को धन्यवाद,सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-71225452476487828032010-04-17T18:20:02.951+05:302010-04-17T18:20:02.951+05:30अभी पढ़ ही रहा हूँ..हर गज़ल थाम ले रही है..
गज़ल ...अभी पढ़ ही रहा हूँ..हर गज़ल थाम ले रही है..<br /><br />गज़ल न. २ तो क्या कहे...लाजबाब कर दिया हर शेर ने.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-84862714681629622942010-04-17T17:28:19.455+05:302010-04-17T17:28:19.455+05:30OM PRAKASH YATI JEE KEE DAS GAZALEN
PADHWAANE KAA ...OM PRAKASH YATI JEE KEE DAS GAZALEN<br />PADHWAANE KAA BAHUT-BAHUT DHANYAWAD.SUNDAR AUR SAHAJ <br />BHAVABHIVYAKTI HAI GAZALON MEIN.<br /> KAHIN-KAHIN MUJHE UNKE SHERON<br />MEIN BIKHRAAV LAGAA HAI ,KAAL YANI<br />TENSE KO LEKAR.UNKAA EK SHER HAI-<br />KONPAL KAA UTSAAH DEKHKAR<br />SHAAYAD MOM HUAA HOGA<br />VARNA ITNEE NARMEE KAESE<br />PATTHAR MEIN AA JAAYEGEE<br /> SHER KO AGAR NAYE QAFIYE AUR<br />NAYEE RADEEF MEIN YUN KAHAA JAATAA<br />TO NIKHAAR AATAA<br />KONPAL KAA UTSAAH DEKH KAR<br />SHAAYAD MOM HUE HONGE<br />VARNA ITNEE NARMEE KAESE<br />PAASHAANON MEIN AA JAATEEPRAN SHARMAhttp://mahavirsharma.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-29429357763465787112010-04-17T13:31:30.881+05:302010-04-17T13:31:30.881+05:30बहुत बढिया प्रस्तुति।।बहुत बढिया प्रस्तुति।।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-61100340548150117692010-04-17T12:44:36.081+05:302010-04-17T12:44:36.081+05:30समझ में नहीं आ रहा क्या टिपण्णी करूँ...हतप्रभ हूँ....समझ में नहीं आ रहा क्या टिपण्णी करूँ...हतप्रभ हूँ...शब्द नहीं मिल रहे जो दिल के उदगार को व्यक्त कर पायें...औम जी ने विलक्षण ग़ज़लें कही हैं...इतनी खूबसूरत ग़ज़लें एक साथ पढने का मौका अरसे बाद मिला है...एक एक शेर दिल पर असर डालता है...ऐसे शेर कहना कितना मुश्किल काम है मैं जानता हूँ....लेकिन इस मुश्किल काम को औम जी की लेखनी ने कितना आसान बना दिया है...इसके पीछे उनका अनुभव और साहित्य साधना ही है...मेरी हार्दिक बधाई इन एक से बढ़ कर एक लाजवाब ग़ज़लों के लिए...<br /><br />आभार आपका भी, उनकी इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ हम जैसे पाठकों तक पहुँचाने के लिए...आपके इस काम की जितनी सराहना की जाए कम है...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-9866500419612475792010-04-17T12:32:15.876+05:302010-04-17T12:32:15.876+05:30भाई ओमप्रकाश यती की सारी गज़लें दिल -दिमाग़ को छून...भाई ओमप्रकाश यती की सारी गज़लें दिल -दिमाग़ को छूने वाली हैं । ऐसी रचनाएँ पत्रिकाओं में तो पढ़ने को नहीं मिलती । तथाकथित पत्रिका के सम्पादकों ने घटिया काव्य रचनाएँ परोसकर पाठक को बहुत दूर भगा दिया है । रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com