tag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post1335714585435385565..comments2024-01-30T17:48:49.479+05:30Comments on वाटिका: दस कविताएं– भगवत रावतसुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-17406838295948680712014-11-28T20:07:22.937+05:302014-11-28T20:07:22.937+05:30परम आदरणीय मेरे रावत सर की शिष्या बनने का सौभाग्य ...परम आदरणीय मेरे रावत सर की शिष्या बनने का सौभाग्य मिला है मुझे।1985 से 1988 तक क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालय भोपाल में सर के संरक्षण में रही, मुझे भी कविताएँ लिखने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे, कॉलेज मागज़ीन में भी मेरी कृति को प्रोत्साहित करते रहे। भवानीप्रसाद मिश्र जी की कविता 'सन्नाटा' मुझे अज भी याद है, सर के पढ़ने का अंदाज़ अलग था।एक बार फिर परम आदरणीय गुरूजी को शत शत नमन।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05953373850223843687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-10092597200744949752014-11-28T19:55:17.715+05:302014-11-28T19:55:17.715+05:30परम आदरणीय मेरे रावत सर की शिष्या बनने का सौभाग्य ...परम आदरणीय मेरे रावत सर की शिष्या बनने का सौभाग्य मिला है मुझे,1985 से1988 क्षेत्रिय शिक्षा महाविद्यालय में,सर के संरक्षण में रही,मुझे भी कवितायेँ लिखने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहें,कालेज मैगजीन में भी मेरी कृति को प्रोत्साहित करते रहें ।रावत सर को शत शत नमन ।<br />सर की रचनाये तो हम कालेज में भी सुनते थे। सर के पढ़ाने का अंदाज़ ही कुछ अलग था ।भवानीप्रसाद मिश्र जी की एक कविता सन्नाटा आज भी मुझे याद है,सर ने कुछ इस तरह पढ़ाया था,जो में कभी नहीं भूल सकती ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05953373850223843687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-73676316558418521352013-10-21T20:17:10.550+05:302013-10-21T20:17:10.550+05:30Mujhe bhagwat rawat ji ki kavita padhkar bhut achh...Mujhe bhagwat rawat ji ki kavita padhkar bhut achha lga. Mujhe apni m.phil.(hindi) rawat ji pr krne ka mouka mila pr mera durbhagya ki m un pr m.phil. nhi kr paya. Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-32826056029373386622011-10-21T19:45:49.006+05:302011-10-21T19:45:49.006+05:30आपने भगवत रावत जी की बहुत अच्छी रचनाएं पढवाई....
...आपने भगवत रावत जी की बहुत अच्छी रचनाएं पढवाई....<br />बहुत बहुत धन्यवादकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-55698868181080450712010-03-04T08:40:45.289+05:302010-03-04T08:40:45.289+05:30Wonderful collection..Rawat ji kee prabhavit karti...Wonderful collection..Rawat ji kee prabhavit karti sundar rachnayen !!ik baar punhh padhkar tippani karungi..<br />Sadar! Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-21379662382541269452008-08-20T22:50:00.000+05:302008-08-20T22:50:00.000+05:30cont'd--आगे उन्होंने बताया कि'परीकथा' (दिल्ली,सं-श...cont'd--आगे उन्होंने बताया कि'परीकथा' (दिल्ली,सं-शंकर जी) के नवम्बर-दिसम्बर,२००८ अंक में उनकी लंबी कविता' बम्बई नहीं मुम्बई है रेसकोर्स' और आलोचना अंक-27 'देश के नाम संदेश' कविता आने वाली है। यह उस कवि के चरम जीवन-संघर्ष में गहरे सने-गुँथे काव्य-संघर्ष की गाथा को भी देदीप्यमान करता है जिसके लिये किसी कवि के सच्चे होने का कोई सबूत नहीं, बल्कि, बस दिल में एक आह-सी भर जाती है कि दैव यह तुने क्या किया! जीवन की सांध्य-बेला में भी शब्द-कर्म की हवि कोई झोंक रहा है अपने स्वाँसों की आहुति में !!मेरी आँखों में बरबस आँसू भर आये उनकी बातें सुन-सुन ,और वे हैं कि हँसते जा रहे हैं! यह कविमन का तेज ही है जो ईश्वर को भी अपने कर्म से चुनौती दे रहा है।<BR/> सचमुच उनके व्यक्तित्व ने आज मुझे भीतर से बहुत झिंझोर दिया। मैं कई वरिष्ठ कवियों पर काम कर रहा था। पर उनसे बात करके लगा कि सब छोड़कर पहले मुझे उन पर ही लिखना चाहिए वर्ना मैं अपने-आप को माफ़ नहीं कर पाऊँगा। <BR/> मै कल ही उनकी 'अम्मा से मेरी बातें और लंबी कविताएँ' कविता-संग्रह राजकमल से मंगवाऊँगा और मेरे अनुरोध पर अपनी निर्वाचित कविताएँ उन्होंने स्वयं भी भेजने की पेशकश की है।पूरी बातचीत के क्रम में वे बार-बार मेरा ही हाल-समाचार पुछ रहे थे,जैसे उनसे पहले भी मिला हुआ हूँ और उनका बहुत आत्मीय रहा हूँ। यह कवि नहीं एक महामानव का भी गुण है। भगवान उनको शांति और शेष जीवन में स्वस्थ रखें,यही आरजू है।-सुशील कुमार(sk.dumka@gmail.com)Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-61532701171668585462008-08-20T22:45:00.000+05:302008-08-20T22:45:00.000+05:30आदरणीय सुभाष नीरव जी, आखिरकार आपके माध्यम से उस मह...आदरणीय सुभाष नीरव जी, आखिरकार आपके माध्यम से उस महान काया-कवि से यानि भगवत रावत जी से बातें हो ही गयी जिसके लिये मैं आजीवन आपका ऋणी रहूँगा। उन्होंने आज 20/08/2008) की रात लगभग नौ बजे फोन किया। <BR/> "एक वह मनुष्य जो जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर खड़ा होकर अपनी मौत को हँस रहा हो,उनके अदम्य जिजीविषा की ओर इंगित करता है।" उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछते समय उन्होंने हँसकर कहा कि एक किड्नी तो तीस साल पहले ही खराब हो गयी थी जिसे निकाल दिया गया था। दूसरी किड्नी से अब तक चल रहे थे। इतनी तो किसी की पत्नी भी साथ नहीं निभा पाती। अब वह भी नाकाम हो गयी है। अभी उन्हें दिन में चार बार चार घंटे के अंतराल पर डायलिसिस में जाना पड़ता है और दवाईयाँ लेनी पड़ती है। यह सब सुनकर मैं हतप्रभ रह गया कि फिर भी पूरी वार्ता के दरम्यान वे हँसते ही रहे मानो उस महात्मा ने मृत्यु पर जीते जी विजय प्राप्त कर लिया हो। -सुशील कुमार(sk.dumka@gmail.com)cont'dSushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-37157901029025628252008-08-18T21:40:00.000+05:302008-08-18T21:40:00.000+05:30Bhagwat Rawat ki kavitaayen---- jiwan ko dekhe jaa...Bhagwat Rawat ki kavitaayen---- jiwan ko dekhe jaane ka alag andaj va jiwan ke bich ke jiwan ko saheje jaane ki sampurn chesta bhi<BR/><BR/>....darasal pani se hokar dekhen<BR/> tabhi dunia panidar rahti hai<BR/><BR/>ya phir...etani thak chukki hai vah<BR/> pyar usake bas ka nahin raha<BR/><BR/>thanks 4 these beautiful poetriesranjanahttps://www.blogger.com/profile/11979744073771830887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-18468246411656877842008-08-17T10:33:00.000+05:302008-08-17T10:33:00.000+05:30प्रिय सुभाष , बहुत पहले 'सेतु साहित्य' के लिए ईमेल...प्रिय सुभाष , <BR/>बहुत पहले 'सेतु साहित्य' के लिए ईमेल किया था !<BR/>आज फ़िर से कह रहा हूँ आपके 'ब्लाग्स' में विचरना अच्छा लगता है !<BR/><BR/>आज "वाटिका" से गुज़रते हुए रंजना <BR/>(की कविताओं) को देखा ,कवितायें बहुत अच्छी हैं <BR/>मगर आप रंजना से कहें कि उनका 'ईश्वर' पुरूष ही क्यों है ? कभी 'ईश्वर' को स्त्री रूप (मातृ शक्ति) में भी देखें ? <BR/><BR/>भगवत रावत 'सीजंड' कवि हैं उन्हें प्रणाम कहें !<BR/><BR/>और हाँ 'हरकीरत' को 'हक़ीर' होने से मना कीजिये वो तो अच्छा खासा लिख रही हैं !<BR/> <BR/>एक बात और ..... अपनत्व का अनुभव कर 'जी' नहीं लिखा है अगर चाहें तो सुभाष को छोड़कर सभी नामों के सामने 'जी' लगा दीजियेगा ! <BR/><BR/>फ़िर से शुभकामनाओं सहित !<BR/>अली !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-84850595447996461892008-08-17T04:07:00.000+05:302008-08-17T04:07:00.000+05:30subhash ji,aaj gavaksh.blogspot par gayi to jaana ...subhash ji,<BR/>aaj gavaksh.blogspot par gayi to jaana ki kitna kuch , behad sundar , padne se rah gaya tha. Bhagwat Rawat ji ko padti rahi hun, naya jyanoday main bhi pada. kayal hun unki lekhni ki.<BR/>chayanit kaviatein apne ko ek saans main padwa le gayin.<BR/><BR/>Dhanyawaad .<BR/>is ank main chapi Ranjana ji ki kaviatein bhi acchi hain.<BR/><BR/>IlaIlahttps://www.blogger.com/profile/15571289109294040676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-21811276687556941082008-08-14T21:32:00.000+05:302008-08-14T21:32:00.000+05:30Subhasji, Bhagwat Ravatji chidiyon ne dil me need ...Subhasji, Bhagwat Ravatji chidiyon ne dil me need bna liya.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-57452406826009728892008-08-09T19:21:00.000+05:302008-08-09T19:21:00.000+05:30भाई सुभाष नीरव जी, मै यहाँ भगवत रावत जी का वह विनय...भाई सुभाष नीरव जी, मै यहाँ भगवत रावत जी का वह विनय-पत्र ही पाठकों के समक्ष मूल रुप में रखना चाहता हूँ जिसे उन्होंने अपनी लंबी कविता "कहते हैं कि दिल्ली की आबोहवा है कुछ और" (जो कुल चौदह खंडों में है) अपनी बीमारी के दौरान लिखकर भाई रविन्द्र कालिया जी(संपादक-’नया ज्ञानोदय’) को प्रकाशन के लिये भेजते हुए लिखा था-<BR/>"प्रिय भाई रविन्द्र कालिया जी,<BR/>मैं ये कविता आपके पास इस गरज़ से सचमुच नहीं भेज रहा हूँ कि यह छप ही जाय। पिछले लगभग एक वर्ष से ज़्यादा समय से अपनी लंबी बीमारी के दौरान बीच-बीच में इस कविता के अंश लिखता रहा हूँ। मेरी आपसे प्रार्थना यह है कि आप इसे एक बार मनोयोग से पढ़ लें। यह कविता बीमारी के बीच-बीच में बड़ी मुश्किल से लिखी गयी पर यह बीमारी की मानसिकता से मुक्त है - क्योंकि यह लंबे सोच-विचार का प्रतिफल है। इसे मैंने अप्रील 2006 में लिखना शुरु किया था। और और इसे अंतिम रुप दिया अभी मई 2007 में।<BR/> अगर आपको यह इस योग्य(किसी भी कारण से) न लगे कि इसे प्रकाशित किया जाय तो यह आप और मेरे बीच ही रहे। उम्मीद है आप मेरी बात की रक्षा करेंगे। हर डायलिसिस के बाद दो या तीन दिन का समय मिलता है जिसमें कुछ लिख- पढ़ सकूँ। इसके बाद हफ़्ते में दो बार उसकी तलवार लटकी ही रहती है।<BR/> उम्मीद है कविता पढ़ने के बाद फुरसत से मुझे फोन ज़रुर करेंगे।"<BR/> इसे पढ़कर कोई कह सकता है क्या कि इतने वरिष्ठ कवि के अंदर अहमन्यता का लेशमात्र भी विद्दमान है? आज के कवियों को इस वाक्या से सीख लेने की ज़रुरत है।<BR/>--सुशील कुमार(sk.dumka@gmail.com)Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-80182595208066729722008-08-07T17:33:00.000+05:302008-08-07T17:33:00.000+05:30भाई सुभाष जी, सही कहा आपने कि - "भाई सुशील जी, बहु...भाई सुभाष जी, सही कहा आपने कि - "भाई सुशील जी, बहुत-बहुत धन्यवाद। भगवत जी के बारे में आपने ठीक कहा। वह कवि ही ऐसे हैं। मुझे उनकी कविताएं आरंभ से ही अच्छी लगती रही हैं।" <BR/> इस प्रसंग में मुझे याद आ रहा है कि'नया ज्ञानोदय' में उनकी वह कविता जो दिल्ली की आबोहवा पर दृष्टिगत हुई थी, अपनी बीमारी से लड़ते हुए ही उन्होंने लिखी थी और उन्होंने उसके संपादक कालिया जी को भी अनुरोध किया था कि किसी कारण से से यदि वे उसे 'नया ज्ञानोदय' में स्थान नहीं दे पायें तो यह बात सिर्फ़ उनके और कालिया जी के ही बीच सीमित रहे। यह एक कवि के ही उज्ज्वल-धवल मन की पराकाष्ठा और एक ठोस चरित्र की ही पहचान हो सकती है जो यहाँ'वाटिका' में छपी उनकी एक कविता के ही के शब्दों में स्वलक्षित है--<BR/>"एक आदमी<BR/>झाड़ियों के सूखे डंठल बटोर कर<BR/>आग जलाता है।<BR/><BR/>चट्टानों के चेहरे तमतमा जाते हैं<BR/>आदमी उन सबसे बेख़बर<BR/>टटोलता हुआ अपने आपको<BR/>उठता है और उनमें किसी एक पर बैठकर<BR/>अपनी दुनिया के लिए<BR/>आटा गूँधता है।<BR/><BR/>आग तेज़ होती है<BR/>चट्टानें पहली बार अपने सामने<BR/>कुछ बनता हुआ देखती हैं ।"<BR/>----और यह एक ऐसे ही महान कविमन के अंतस की चरम अभिव्यक्ति हो सकती है !<BR/>-सुशील कुमार(sk.dumka@gmail.com)Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-59684894529543508812008-08-06T09:40:00.000+05:302008-08-06T09:40:00.000+05:30भाई सुभाष नीरव जी,भगवत रावत जी की कविता को ’वाटिका...भाई सुभाष नीरव जी,भगवत रावत जी की कविता को ’वाटिका’ में लाकर आपने हिंदी काव्य-जगत का मान बढ़ाया है। दिल्ली की आबोहवा पर उनकी लंबी कविता पिछ्ले दिनों काफ़ी लोकप्रिय हुई थी जिसने कवियो-पाठकों ने संजीदा होकर पढ़ा और सराहा। मै तो कविता में उनकी संवाद-शैली का कायल रहा हूँ। कभी उन पर काव्यात्मकता पर गहराई से लिखूंगा भी। भगवान से उनके स्वस्थ जीवन की कामना करता हूँ, ईश्वर उन्हें लंबी उम्र दे। -सुशील कुमार(sk.dumka@gmail.com)Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-57296221060396439702008-08-02T20:14:00.000+05:302008-08-02T20:14:00.000+05:30भगवत रावत जी हिन्दी के एक वरिष्ठ कवि हैं और उनकी क...भगवत रावत जी हिन्दी के एक वरिष्ठ कवि हैं और उनकी कविताएं पाठकों से तुरन्त संवाद स्थापित कर लेती हैं। इसका नमूना "वाटिका" में प्रकाशित उनकी दस कविताएं भी हैं। जैसे ही ये "वाटिका" में पोस्ट हुईं, उसके घंटेभर बाद से ही पाठकों की टिप्पणियां आनी आरंभ हो गईं। जो कम्प्यूटर पर टिप्पणी देना नहीं जानते, उनके फोन आने आरंभ हो गए। भगवत रावत जी से मैं कभी नहीं मिला। उनकी एक किताब "भगवत रावत- निर्वाचित कविताएं" मैंने कभी करनाल में आयोजित लघुकथा गोष्ठी में खरीदी थी। इसे बहुत ही सस्ते दाम में विकास नरायण राय जी ने साहित्य उपक्रम के अन्तर्गत "इतिहास बोध प्रकाशन, इलाहाबाद" से प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में भगवत जी के पुराने कविता संग्रहों से कविताएं ली गई हैं और कुछ नई कविताओं को भी शामिल किया गया है। <BR/>इसी पुस्तक से मैंने दस कविताओं का चयन करके भगवत जी की अनुमति से "वाटिका" में प्रकाशित किया है। मुझे खुशी है कि मेरे चयन को आप सभी ने पसन्द किया। भगवत रावत जी इन दिनों डॉयलिसिस पर रहते हैं पर रचनात्मक ऊर्जा अभी भी उनमें ज्यों कि त्यों है। अभी पिछ्ले दिनों उनकी "दिल्ली" पर लिखी कविता काफ़ी चर्चा में रही है। मैं मोहन वशिष्ठ जी, जोशिम जी, ममता जी, द्विज जी, देवी जी, सीमा गुप्ता जी, रश्मि प्रभा जी, बलराम अग्रवाल जी, तसलीम अहमद जी और प्राण शर्मा जी का बहुत बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने भगवत जी की कविताओं पर अपनी बेबाक टिप्पणियाँ दीं।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-48237872503638087482008-08-02T19:46:00.000+05:302008-08-02T19:46:00.000+05:30Subhash jee, Wah kya baat hai,Vaatika par bhagwat ...Subhash jee, <BR/>Wah kya baat hai,Vaatika par bhagwat Rawat kee dus chunindaa kavitayen padh kar anand aa gayaa .Kavi kee achhee kavitaayen baanch kar man ko achha lagtaa hai.Bhavishya mein bhee unkee chunindaa kavitayen uplabdh karvaayen.<BR/> <BR/>-Pran SharmaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-85064616338762287662008-08-01T17:20:00.000+05:302008-08-01T17:20:00.000+05:30la jawaab,subhash ji,bhagwat ji ki kavitain, dil k...la jawaab,<BR/>subhash ji,bhagwat ji ki kavitain, dil ko chho gain. khaskar-<BR/>हमने उनके घर देखे<BR/>घर के भीतर घर देखे<BR/>घर के भी तलघर देखे<BR/>हमने उनके<BR/>डर देखे।<BR/>aur thak chuki vah, bahoot achhi lagi. badhai.तसलीम अहमदhttps://www.blogger.com/profile/03881919263639682839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-25756391916585200262008-08-01T13:43:00.001+05:302008-08-01T13:43:00.001+05:30भगवत रावत की सभी कविताएँ प्रभावित करती हैं। चिड़िया...भगवत रावत की सभी कविताएँ प्रभावित करती हैं। चिड़िया हिंदी की अनेक कविताओं और कहानियों की मुख्य-पात्र रही है। कथा-सम्राट प्रेमचन्द को भी चिड़िया आकर्षित कर चुकी है और मुझ जैसे साधारण को भी। इस टिप्पणी के बहाने चिड़िया पर लिखी अपनी यह कविता भेज रहा हूँ:<BR/>बालक ने चिड़िया को छुआ<BR/>चिड़िया चिहुँकी<BR/>फुदकी<BR/>उड़ी--फुर-फुर<BR/>बालक ने आज़ादी को छुआ।<BR/> <BR/>बहरहाल, भगवत जी स्तरीयता का निर्वाह करने वाले कवि हैं। उनको व आपको दोनों को बधाई।<BR/>-बलराम अग्रवालAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-83779945993135162632008-08-01T13:43:00.000+05:302008-08-01T13:43:00.000+05:30Bahut hi arth bhari kavitaayen hain, dhanyawaad in...Bahut hi arth bhari kavitaayen hain, dhanyawaad inse rubru karwane ki khaatir<BR/><BR/>-Rashmi Prabha <BR/>rasprabha@gmail.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-18095116480445985642008-08-01T11:55:00.000+05:302008-08-01T11:55:00.000+05:30" its really my pleasure to get a chance to ready ..." its really my pleasure to get a chance to ready few of poems of Mr.BHAGWAT RAWAT all are great and lovable. "<BR/>Thanks a lot Shubash jee for your great efforts.<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-27817405007100196922008-08-01T11:12:00.000+05:302008-08-01T11:12:00.000+05:30Subash jiBhagwat rawat ji se v unki rachnaon se ro...Subash ji<BR/>Bhagwat rawat ji se v unki rachnaon se roobaroo hokar sukhad anand ho raha hai, rachnaion se sachaian jhank rahi hai. Bahut sunder!!!<BR/><BR/>हमने उनके घर देखे<BR/>घर के भीतर घर देखे<BR/>घर के भी तलघर देखे<BR/>हमने उनके डर देखे।<BR/>DeviDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-2960375606456766522008-08-01T06:43:00.000+05:302008-08-01T06:43:00.000+05:30मैं सारी चिड़ियों को इकट्ठा करकेउनकी ही बोली में कह...मैं सारी चिड़ियों को इकट्ठा करके<BR/>उनकी ही बोली में कहना चाहता हूँ<BR/>कि यह बहुत अच्छा है<BR/>कि तुम्हें कुछ नहीं पता।<BR/><BR/>marmsparshi kavitaayeN.द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-38614921170498566982008-08-01T02:16:00.000+05:302008-08-01T02:16:00.000+05:30Sach mein aaj ki iss bhagan bhag ki dunia mein Sub...Sach mein aaj ki iss bhagan bhag ki dunia mein Subhash ji yeh kavitain, mughey mere sans lene jaisi lagti hein.<BR/>pad ke lagta hai ki, dunia mein shukar hai kuch log to aise hein jo bhawnaon ko mehsus karte hein...<BR/>Thanks agian for your such a good blog.....Chhayahttps://www.blogger.com/profile/06834345857172875964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-47992162060515947432008-07-31T23:23:00.000+05:302008-07-31T23:23:00.000+05:30बहुत सुंदर कविताएं हैं। ख़ासतौर पर...किसी तरह दिखत...बहुत सुंदर कविताएं हैं। ख़ासतौर पर...किसी तरह दिखता रहे थोड़ा आसमान और करुणा।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-3271234889425868552008-07-31T23:20:00.000+05:302008-07-31T23:20:00.000+05:30Sir,Wonderful creation!I don't have words to expre...Sir,<BR/><BR/>Wonderful creation!<BR/>I don't have words to express... all sort of emotions are captured here.<BR/><BR/>Mr Rawat reading your poetries was a pleasant ride!<BR/><BR/>Regards,<BR/><BR/>MamtaMamta Swaroop Sharanhttps://www.blogger.com/profile/14973853855696458366noreply@blogger.com