tag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post5527537776977701823..comments2024-01-30T17:48:49.479+05:30Comments on वाटिका: वाटिका - मार्च, 2010सुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-17501086155847863052010-04-22T00:42:25.083+05:302010-04-22T00:42:25.083+05:30बहुत ही सुन्दर, शानदार और लाजवाब गजलें लिखी हैं ...बहुत ही सुन्दर, शानदार और लाजवाब गजलें लिखी हैं लता जी ने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-9738988439619846052010-04-18T22:31:36.389+05:302010-04-18T22:31:36.389+05:30लता हया जी,
इतनी अच्छी गज़लों के लिए बधाई.....लता हया जी,<br /> इतनी अच्छी गज़लों के लिए बधाई.....मुल्क को तो बाँट लें लेकिन ये सोचा है कभी,दिल को कैसे बाँट सकती हैं सियासी सरहदें.बड़ा ज़रूरी शेर है .ओमप्रकाश यतीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-83538962579645935612010-04-02T01:03:20.911+05:302010-04-02T01:03:20.911+05:30आदरणीय सुभाष जी ,
...आदरणीय सुभाष जी ,<br /> वाटिका में मेरी ग़ज़लों को जगह देने के लिए शुक्रिया और कुछ नए बाअदब पाठकों से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद् .<br />अपनी राय से अवगत करवाने वाले और दुआओं से नवाज़ने वाले आप तमाम सुधि पाठकों का मैं इन अल्फाज़ के साथ तहे -दिल से आभार व्यक्त करती हूँ ;<br /> दरअस्ल दाद पायेगी उस दिन मेरी ग़ज़ल <br /> जब तू मुहब्बतों से उसे गुनगुनाएगा .<br /> शुक्रिया ========लता 'हया'लता 'हया'https://www.blogger.com/profile/10512517381147885252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-4411822569253833182010-03-29T18:32:46.061+05:302010-03-29T18:32:46.061+05:30Lataa jee kii sabhii gajle itnii behtariin hain ki...Lataa jee kii sabhii gajle itnii behtariin hain ki man ko gehre chhuti chalii gaeen aur mai unhen vishesh roop se badhai deta hoonashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-85819637007761952832010-03-27T10:10:53.613+05:302010-03-27T10:10:53.613+05:30वो लोग जिनके लब पे तबस्सुम हज़ार हैं
उनके दिलों में...वो लोग जिनके लब पे तबस्सुम हज़ार हैं<br />उनके दिलों में झाँकिए, ग़म बेशुमार हैं<br /><br />लता जी की सभी गज़लें पसंद आयीं। वे गीत, नज़्म और मुक्तक भी अच्छे लिखती हैं। मंच पर भी उनकी अदायगी असरदार है। वे इसी तरह लिखती रहें, आगे बढ़ती रहें, यही शुभकामना है।<br /><br />देवमणि पाण्डेय (मुम्बई)देवमणि पाण्डेयhttp://devmanipandey.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-33073058322656375142010-03-26T00:44:56.644+05:302010-03-26T00:44:56.644+05:30लता हया जी की कलम से निकली हर रचना नायाब है ..और...लता हया जी की कलम से निकली हर रचना नायाब है ..और ये सभी गज़लें एक साथ पढवा कर आप ने पाठकों को खूबसूरत तोहफा दे दिया.<br />लता जी आप की सभी गज़लें बेहद पसंद आयीं.<br />शुक्रिया और वाटिका का आभार.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-45834192744691532482010-03-25T16:33:43.663+05:302010-03-25T16:33:43.663+05:30मैं हक़ीक़त की पुजारिन वो रिवायत का असीर
मेरी अपनी म...मैं हक़ीक़त की पुजारिन वो रिवायत का असीर<br />मेरी अपनी मुश्किलें हैं, उसकी अपनी सरहदें॥<br /><br />भाई नीरव, कुछ शे'र तो तुमने ई-मेल में कोट कर दिये, कुछ टिप्पणी करने वालों ने। मैं दस की दस ग़ज़लें पढ़ गया और समझ ही न सका कि आखिर किस शे'र को बेहरीन समझते हुए कोट करूँ? सब के सब तो पागल कर देने वाले हैं। फिर सबसे पहला काम तो मैंने अपनी बेटी को 'वाटिका' का यह अंक फ़ॉर्वर्ड किया। उसके बाद आँख बन्द करके उँगली रखने वाला फ़ॉर्मूला अपनाया। जवाब में ऊपर वाला शे'र आया। रवायत के असीर अक्सर बे-हया होते हैं।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-40047869942779528902010-03-24T13:59:07.613+05:302010-03-24T13:59:07.613+05:30सुभानाल्लाह ............हर शे'र दिल में उतरता...सुभानाल्लाह ............हर शे'र दिल में उतरता हुआ ......रूह मुरीद हुई इनकी .....!!<br /><br />लाजवाब गजलें ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-34499644016986949992010-03-24T12:35:02.706+05:302010-03-24T12:35:02.706+05:30भाई सुभाष,
लता हया की गज़लों से तुम्हारे माध्यम से ...भाई सुभाष,<br />लता हया की गज़लों से तुम्हारे माध्यम से परिचित हुआ. क्या अद्भुत गज़लें है ! निश्चित ही लता जी हिन्दी गज़लों की दुनिया में लंबी मंजिल तय करेंगी और ऊंचाइयों को छुएंगीं. मेरी शुभकामनाएं.<br />रूपसिंह चन्देल<br />roopchandel@gmail.comरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-61483563035773759812010-03-23T23:45:19.906+05:302010-03-23T23:45:19.906+05:30बहुत खूब ,लता हया जी कि गज़लें अपने आस पास कि जीवित...बहुत खूब ,लता हया जी कि गज़लें अपने आस पास कि जीवित संवेदनाएं लिए हुए रचनात्मक कारीगरी का बेहतरीन नमूना हैं .हार्दिक बधाई .नीरव जी को इस चुनाव तथा प्रकाशन के लिए धन्यवाद.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-54921369670132683762010-03-22T10:20:18.871+05:302010-03-22T10:20:18.871+05:30आज एक साथ लता हया के इतने सारे अशआर पढने को मिले.....आज एक साथ लता हया के इतने सारे अशआर पढने को मिले... सभी लाजवाब हैं.<br /><br />वाटिका को प्रस्तुति के लिए आभार.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-19405983875879020722010-03-22T09:10:58.899+05:302010-03-22T09:10:58.899+05:30लता हया जी की हर रचना दिल की गहराइयों तक उतरती हैं...लता हया जी की हर रचना दिल की गहराइयों तक उतरती हैं...........हर रचना अपना प्रभाव छोडती हैरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-18186387664845239902010-03-22T08:13:44.099+05:302010-03-22T08:13:44.099+05:30पहली शुभकामनाएं...बेहतरीन शायरी...
वो ख़ुदा है तो...पहली शुभकामनाएं...बेहतरीन शायरी...<br /><br />वो ख़ुदा है तो रहे दूर ही मुझसे, कह दो<br />पास आए तो ज़रा आदमी बन कर बोले<br /><br />वाह! क्या लिखा आपने... बधाई ।yehsilsilahttps://www.blogger.com/profile/13383588622758341061noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1702705983988931875.post-28703402961011710972010-03-22T07:50:34.278+05:302010-03-22T07:50:34.278+05:30वो लोग जिनके लब पे तबस्सुम हज़ार हैं
उनके दिलों मे...वो लोग जिनके लब पे तबस्सुम हज़ार हैं<br />उनके दिलों में झाँकिए, ग़म बेशुमार हैं<br />-ये शेर तो ज़िन्दगी की हक़ीक़त है । सारी गज़ल बहुत ही खूबसूरत हैं।रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'rdkamboj@gmail.comसहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com